शास्त्रों के अनुसार सनातन धर्म में चार धामों का उल्लेख किया गया है । कहा जाता है कि जो व्यक्ति चार धामों के दर्शन कर लेता है । उसने जगत के 33 कोटि देवी देवताओं दर्शन प्राप्त कर लिए है । इन्ही चार धामों में से एक धाम उड़ीसा का जगन्नाथ मंदिर है । जो पूरी दुनिया के लिए मशहूर है । इस मंदिर को राजा इंद्रधुम्न ने हनुमान जी की प्रेरणा से बनवाया था । कहते है कि इस मंदिर की रक्षा का दायित्व प्रभु जगन्नाथ ने श्री हनुमान को सौंपा था ।
और फिर एक बार समुद्र की आवाज भगवान जगन्नाथ जी को परेशान कर रही थी । तब हनुमान जी ने अपनी चमत्कारिक शक्ति से समुद्र की आवाज को मंदिर में आने से रोक दिया था । आज भी मंदिर के समीप समुद्र होने से भी लहरों की आवाज मंदिर तक नहीं आती । फिर लहरें कितनी ही गहरी और विनाशक क्यों ना हो लेकिन मंदिर तक आवाज नहीं आती है । आइए आपको विस्तृत जानकारी देकर इस चमत्कारिक कहानी को बताते हैं ।
जब भगवान जगन्नाथ को सोने नही देती थी समुद्र की लहरें
भगवान जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वार के सामने रामदूत हनुमान जी की चौकी है । कहने का तात्पर्य मंदिर है । परंतु मुख्य द्वार के सामने जो समुद्र है । वहां पर बेड़ी हनुमान जी का वास है । क्या आप जानते हैं ।समुद्र की आवाज मंदिर में आने से रोकने के पीछे एक कहानी प्रसिद्ध है । कहते है कि एक बार नारद जी भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए आए तो द्वार पर खड़े हनुमान जी ने बताया कि इस समय प्रभु जगन्नाथ विश्राम कर रहे है।
तब नारद द्वार पर खड़े होकर प्रभु जगन्नाथ जी का इंतजार करने लगे । अधिक समय बीत जाने के बाद नारद जी से रहा नही गया और नारद जी मंदिर के द्वार के भीतर झांकने लगे । तो प्रभु जगन्नाथ श्री लक्ष्मी जी के साथ उदास बैठे थे । उन्होंने प्रभु से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा की समुद्र की आवाज उन्हे ठीक तरह से सोने नही देती है । तब नारद जी ने जगन्नाथ जी के निद्रा में आ रही बाधा के बारे में हनुमान जी को बताया ।
फिर हनुमान जी ने क्रोध में समुद्र से कहा की तुम यहां से दूर होकर अपनी आवाज रोक लो । इस पर समुद्र देव प्रकट हुए और कहा कि हे पवनपुत्र महावीर हनुमान यह आवाज रोकना मेरे बस की बात नही है। हवा चलेगी तो आवाजें आयेंगी । इसे रोकने के लिए अपने पिता जी से बात करो ।
फिर हनुमान ने पिता से अनुरोध किया की आप मंदिर की दिशा की ओर ना बहे । पिता जी ने कहा आवाज रोकना असंभव है । तब हनुमान जी को एक सुझाव दिया कि तुम मंदिर के आसपास एक गोला बना दो । इसके बाद मंदिर के अंदर समुद्र से निकलने वाली लहरों की आवाज नही जाएगी ।
एक कदम पर बंद हो जाती है आवाज
हनुमान जी को पिता जी का सुझाव पसंद आया । फिर हनुमान जी ने पिता का सुझाव मानकर मंदिर की चारों ओर वायु का एक ऐसा चक्र बना दिया । जिसके बाद समुद्र की आवाज मंदिर में जाने से बंद हो गई । अब भगवान जगन्नाथ आराम से विश्राम करते है । इसे चमत्कारिक के रूप में देखा जाने लगा ।
मंदिर के सिंहद्वार में पहला कदम रखते ही समुद्र की आवाज आना बंद हो जाती है । सिर्फ यही नही मंदिर से एक कदम पीछे हटाते ही समुद्र की आवाज आने लगी है । दूसरा चमत्कार यह है कि जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है । आश्चर्य की बात यह भी है कि प्रतिदिन शाम को मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़ कर बदला जाता है । ध्वज इतना सुंदर है कि ध्वज पर भगवान भोलेनाथ का चंद्र बना हुआ है । जिसे सब देखते ही रह जाते है ।