भगवान भोलेनाथ के ग्यारहवें अवतार कहे जाने वाले पवन पुत्र श्री हनुमान जी की व्रत लखनी पूजन करने और कथा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं । बजरंगबली को पराक्रम बल शक्ति साहस सेवा और भक्ति का आदर्श माना जाता है । पुराणों के अनुसार बजरंगबली को सकल गुण निधान भी कहा जाता है ।
जो लोग नहीं जानते उनके लिए बता दें कि हनुमान चालीसा की 40 चौपाइयां गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखी हैं । इसी कड़ी में एक चौपाई है भी है।
चारों युग परताप तुम्हारा है , प्रसिद्ध जगत उजियारा ।
इस चौपाई का अर्थ है– हनुमान जी इकलौते ऐसे देवता हैं जो हर युग में संकटमोचक की तरह दुनिया में मौजूद रहेंगे । हनुमान जी को भोलेनाथ ने या आशीर्वाद दिया था कि आपको जगत कल्याण में संकटमोचक बनकर मौजूद रहना है । शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी भक्त श्री हनुमान जी की सच्ची श्रद्धा और निष्ठा के साथ व्रत पूजन और कथा करता है उसे हर कष्ट से मुक्ति मिलती है और हनुमान जी संकटमोचक की तरह उसके संकट हर लेते हैं । आइए हम आपको बताते हैं कि आप कैसे मंगलवार के दिन पवन पुत्र श्री हनुमान जी की व्रत कथा और पूजन कर सकते हैं ।
मंगलवार को क्यों और कब करना चाहिए व्रत और पूजा
सप्ताह के सातों दिनों में से मंगलवार बजरंगबली के लिए खास माना गया है । इसलिए खासतौर पर मंगलवार को ही हनुमान जी की पूजा और व्रत कथा करनी चाहिए । एक भक्त चंद्र मास के शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार से व्रत शुरु कर सकता है । कहा जाता है जब सूर्य उत्तरायण में होता है । तो इसे 21 सप्ताह तक जारी रखना चाहिए । इसी दिन मंगलवार को बजरंगबली की सुबह प्रातः स्नान करने के बाद शुद्ध कपड़े पहन कर अच्छी तरह पूजा भी करनी चाहिए । ऐसा करने से शारीरिक कष्ट आर्थिक स्थिति और बीमारी से छुटकारा मिल जाता है ।
मंगलवार व्रत करने की विधी
यह बात सच है कि बजरंगबली ब्रह्मचारी हैं और जब भी इनकी पूजा अर्चना करें बहुत ही शुद्ध रूप से करें । आप जानते हैं मंगलवार व्रत विधि । सर्व सुख रक्त विकार तथा सम्मान प्राप्ति के लिए मंगलवार को व्रत रखना उत्तम माना गया है । इस व्रत में भक्तों को गेहूं और गुड़ का ही भोजन करना चाहिए ।
ऐसा माना गया है कि भोजन दिन में सिर्फ एक बार ही ग्रहण करना चाहिए वह भी शाम को पूजा समय के बाद । शास्त्रों में माना गया है कि यदि कोई भी 21 सप्ताह तक भगवान हनुमान जी का व्रत रखता है तो उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं । पूजा करते समय या ध्यान रखें बजरंगबली को लाल पुष्प चढ़ाएं । और खुद भक्त लाल वस्त्र धारण करें । इसके बाद हनुमान जी की कथा का पाठ करना चाहिए ।
यह है मंगलवार व्रत कथा
एक समय की बात है । एक भ्रमण दंपति भेदभाव के साथ साथ रहते थे । इन ब्राह्मण दंपति की कोई संतान ना होने कारण यह हमेशा दुखी रहते थे । एक बार ब्राह्मण दंपति को किसी ने बताया कि आप प्रत्येक मंगलवार को भगवान हनुमान जी की पूजा अर्चना करें । जिसे आप के कष्ट दूर होंगे और संतान की प्राप्ति होगी।
इसके बाद ब्राह्मण हर मंगलवार को 1:00 जाकर हनुमान जी की पूजा करता था और संतान प्राप्ति की कामना करता था । ब्राह्मण की पत्नी भी मंगलवार के दिन हनुमान जी का व्रत रखती थी प्रत्येक मंगलवार को पूजा अर्चना के बाद ब्राह्मण परिवार भोजन करता था । एक बार की बात है, व्रत वाले दिन ब्राह्मणी भोजन न बना पाई जिससे हनुमानजी को भोग ना लग सका । इस बात से ब्राह्मणी बहुत निराश थी फिर उसने एक दिन तय किया कि अगले मंगलवार को वह किसी भी कीमत पर हनुमान जी को बिना भोग लगाए भोजन ग्रहण नहीं करेगी और 6 दिन तक ब्राह्मणी भी भूखी रही और व्रत वाले दिन वह बेहोश हो गई ।
यह सब भगवान हनुमान जी देख रहे थे । ब्राह्मण की निष्ठा और लगन को देखकर भगवान हनुमान जी बहुत प्रसन्न हुए । इसके बाद हनुमान जी ने खुश होकर आशीर्वाद के रूप में संतान दी । और कहा यह तुम्हारी बहुत सेवा करेगा । ब्राह्मणी जब होश में आए तो एक संतान देखी और वह इसे देखकर बहुत प्रसन्न हुई और उसका नाम मंगल रखा । कुछ समय बाद ब्राह्मण वंश से घर आया और बच्चे की आवाज सुनी उसने अपनी पत्नी से पूछा यह बच्चा किसका है।
ब्राह्मणी ने जवाब दिया कि मेरी पूजा अर्चना और व्रत से खुश होकर भगवान हनुमान ने मुझे संतान दी है । ब्राह्मण इस पर विश्वास नहीं कर पाया एक दिन जब रमणी घर पर नहीं थी उसने अपने बच्चे को कुएं में फेंक दिया । जब रमणी घर पहुंची तो अपने पति से बोली मंगल कहां है तभी पीछे से मंगल की आवाज आई और बोला मां मैं यहां हूं ।
ब्राह्मण यदि करा से चकित हो गया रात में जब ब्राह्मण सो रहा था तभी हनुमान जी उसके सपने में आए और कहा यह संतान तुम्हारी है । ब्राह्मण या सुनकर खुश हुआ अब ब्राह्मण दंपति प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी का व्रत रखने लगे। तभी शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी व्यक्ति भगवान हनुमान जी की पूजा अर्चना करता है और व्रत रखता है सच्ची निष्ठा के साथ हनुमान जी उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं । हनुमान जी को दया का पात्र माना गया है ।
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